अमेरिकी राजदूत को दक्षिण अफ्रीका ने अपने देश से क्यों निकाला? पूरी कहानी जानें
क्या आपने हाल ही में सुना कि दक्षिण अफ्रीका ने अमेरिकी राजदूत को अपने देश से बाहर निकाल दिया? यह खबर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में छाई हुई है और इसके पीछे की वजहें बेहद रोचक हैं। आइए, इस घटना के पीछे की पूरी कहानी को समझते हैं और जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया।
दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव
दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के बीच रिश्ते हाल के दिनों में तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। मार्च 2025 तक, यह तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया जब दक्षिण अफ्रीका ने अमेरिकी राजदूत को “पर्सोना नॉन ग्राटा” (persona non grata) घोषित कर अपने देश से निकाल दिया। लेकिन सवाल यह है कि ऐसा क्यों हुआ? क्या यह कोई अचानक लिया गया फैसला था या इसके पीछे कोई गहरी वजह छिपी है?
हालांकि इस घटना के बारे में कोई स्पष्ट आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया और विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम दक्षिण अफ्रीका द्वारा अमेरिका के प्रति असंतोष का परिणाम हो सकता है। कुछ रिपोर्ट्स का मानना है कि यह कदम अमेरिका द्वारा दक्षिण अफ्रीकी राजदूत इब्राहिम रसूल को अपने देश से निकाले जाने के जवाब में उठाया गया हो सकता है।
दक्षिण अफ्रीका के राजदूत इब्राहिम रसूल का अमेरिका से निष्कासन: कहानी की शुरुआत
इस पूरे मामले की जड़ मार्च 2025 में तब शुरू हुई, जब अमेरिका ने दक्षिण अफ्रीका के राजदूत इब्राहिम रसूल को “पर्सोना नॉन ग्राटा” घोषित किया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने रसूल पर “रेस-बेटिंग पॉलिटिशियन” होने और अमेरिका व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रति नफरत रखने का आरोप लगाया। रुबियो ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में एक कंजर्वेटिव न्यूज़ साइट ब्राइटबार्ट के लेख का हवाला दिया, जिसमें रसूल के एक वेबिनार के दौरान दिए गए बयानों का जिक्र था।
रसूल ने इस वेबिनार में ट्रम्प प्रशासन की नीतियों पर टिप्पणी की थी और “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” (MAGA) आंदोलन को “सुप्रीमसिस्ट इंस्टिंक्ट” से जोड़ा था। इन टिप्पणियों को अमेरिका ने अपमानजनक माना और तुरंत कार्रवाई करते हुए रसूल को देश छोड़ने का आदेश दिया। इसके बाद रसूल 23 मार्च 2025 को केप टाउन लौटे, जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ।
क्या दक्षिण अफ्रीका का कदम था जवाबी कार्रवाई?
रसूल के निष्कासन के बाद दक्षिण अफ्रीका ने इसे अपमान के रूप में लिया। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी राजदूत को निकालना दक्षिण अफ्रीका की ओर से एक जवाबी कदम हो सकता है। यह एक तरह का संदेश हो सकता है कि दक्षिण अफ्रीका अपने सम्मान के साथ समझौता नहीं करेगा। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद भी इस तनाव को बढ़ा रहे हैं, जैसे:
इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दा: दक्षिण अफ्रीका ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में इजरायल के खिलाफ नरसंहार का मुकदमा दायर किया है, जिसे अमेरिका अपने सहयोगी इजरायल के खिलाफ हमले के रूप में देखता है।
भूमि नीति: ट्रम्प प्रशासन ने दक्षिण अफ्रीका की भूमि सुधार नीति की आलोचना की है, जिसमें कुछ मामलों में बिना मुआवजे के जमीन अधिग्रहण की बात कही गई है। अमेरिका इसे “श्वेत-विरोधी” नीति मानता है।
वैश्विक गठजोड़: दक्षिण अफ्रीका के रूस और ईरान जैसे देशों के साथ बढ़ते संबंध भी अमेरिका को पसंद नहीं आ रहे हैं।
अमेरिकी राजदूत के निष्कासन का असर
अमेरिकी राजदूत को दक्षिण अफ्रीका से निकाले जाने की खबर ने दुनिया भर में हलचल मचा दी है। यह एक असामान्य कदम है, क्योंकि किसी देश का राजदूत उस देश में अपने देश के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। इस घटना से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। इसके कुछ संभावित प्रभाव हो सकते हैं:
आर्थिक प्रभाव: अमेरिका ने पहले ही दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर रोक लगा दी थी। अब यह कदम व्यापार और निवेश पर भी असर डाल सकता है।
राजनीतिक तनाव: दोनों देशों के बीच संवाद की कमी से वैश्विक मंचों पर सहयोग प्रभावित हो सकता है।
सामाजिक प्रतिक्रिया: दक्षिण अफ्रीका में जनता ने अपने राजदूत के समर्थन में एकजुटता दिखाई है, वहीं अमेरिका में भी इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है।
क्या कहती है जनता?
दक्षिण अफ्रीका में लोग इसे अपने देश की संप्रभुता और सम्मान की जीत के रूप में देख रहे हैं। रसूल के स्वागत के दौरान सैकड़ों समर्थकों ने “फ्री फिलिस्तीन” के नारे लगाए और उनके “पर्सोना नॉन ग्राटा” स्टेटस को “गरिमा का बैज” करार दिया। वहीं, अमेरिका में कुछ लोग इसे ट्रम्प प्रशासन की सख्त नीतियों का परिणाम मानते हैं।
आगे क्या होगा?
यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश इस तनाव को कैसे सुलझाते हैं। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा है कि वे अमेरिका के साथ संबंधों को “सम्मान के साथ” सुधारने की कोशिश करेंगे। लेकिन क्या यह संभव होगा, या यह तनाव और गहरा जाएगा? यह समय ही बताएगा।
आपकी राय क्या है?
अब आपकी बारी है! आपको क्या लगता है—क्या दक्षिण अफ्रीका का यह कदम सही था, या यह एक अनावश्यक कूटनीतिक भूल थी? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं और इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि वे भी इस रोचक घटना के बारे में जान सकें।
I am a mass communication student and passionate writer. With the last four -year writing experience, I present intensive analysis on politics, education, social issues and viral subjects. Through my blog, I try to spread awareness in the society and motivate positive changes.