आज प्रधानमंत्री मोदी को साइप्रस का सर्वोच्च सम्मान क्यों और किसलिए मिला !
16 जून 2025 को साइप्रस की राजधानी निकोसिया में एक ऐतिहासिक क्षण तब बना जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल पीएम मोदी के वैश्विक नेतृत्व और कूटनीतिक कौशल का प्रमाण है, बल्कि भारत और साइप्रस के बीच गहरे सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों का भी प्रतीक है। आइए, इस ब्लॉग में जानते हैं कि यह सम्मान क्यों दिया गया, इसका महत्व क्या है और इसे कब प्रदान किया जाता है।
सम्मान का कारण: भारत-साइप्रस की दोस्ती और वैश्विक योगदान
साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने पीएम मोदी को यह सम्मान प्रदान करते हुए उनके वैश्विक नेतृत्व, शांति और सहयोग की भावना, और भारत-साइप्रस के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के प्रयासों की सराहना की। यह सम्मान भारत की उस कूटनीतिक नीति का भी सम्मान है, जो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत पर आधारित है। पीएम मोदी ने इसे 140 करोड़ भारतीयों की क्षमता, आकांक्षाओं और सांस्कृतिक विरासत को समर्पित करते हुए कहा, “यह सम्मान मेरे लिए नहीं, बल्कि भारत और साइप्रस की अटूट मित्रता का प्रतीक है।”
भारत और साइप्रस के बीच 1962 से राजनयिक संबंध हैं, जो समय के साथ और मजबूत हुए हैं। भारत ने 1974 में तुर्की के साइप्रस पर आक्रमण के बाद इसकी संप्रभुता का समर्थन किया, जबकि साइप्रस ने 2019 के पुलवामा हमले और हाल के पहलगाम हमले जैसे आतंकी घटनाओं की निंदा कर भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का साथ दिया। साइप्रस ने 2006 (ऑपरेशन सुकून) और 2011 (ऑपरेशन सेफ होमकमिंग) में लेबनान और लीबिया से भारतीयों को सुरक्षित निकालने में भी सहायता की।
इसके अलावा, पीएम मोदी की यह यात्रा—23 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा—दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, डिजिटल भुगतान, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का एक सुनहरा अवसर बनी। इस दौरान NPCI इंटरनेशनल और Eurobank Cyprus के बीच डिजिटल भुगतान समझौता, और NSE इंटरनेशनल एक्सचेंज (गिफ्ट सिटी) व साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच सहयोग जैसे कदमों ने दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III: महत्व और इतिहास‘
ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III’ साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जिसका नाम देश के पहले राष्ट्रपति आर्चबिशप मकारियोस III के नाम पर रखा गया है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है, जिन्होंने शांति, संप्रभुता, और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में असाधारण योगदान दिया हो। यह सम्मान साइप्रस की ओर से उन विदेशी नेताओं और प्रमुख हस्तियों को प्रदान किया जाता है, जो देश के लिए सराहनीय सेवा करते हैं या द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करते हैं।
यह पुरस्कार आमतौर पर विशेष अवसरों पर, जैसे कि किसी विदेशी नेता की आधिकारिक यात्रा या कूटनीतिक मील के पत्थर के दौरान दिया जाता है। पहले इसे भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला II, और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव जैसी हस्तियों को मिल चुका है। पीएम मोदी को यह सम्मान उनकी साइप्रस यात्रा के दौरान प्रदान किया गया, जो दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है।
सम्मान का वैश्विक संदेश
पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा को तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए एक रणनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है, जो भारत के खिलाफ क्षेत्रीय तनाव को बढ़ावा देते रहे हैं। साइप्रस, जो तुर्की के साथ 1974 से क्षेत्रीय विवादों का सामना कर रहा है, भारत के साथ मिलकर आतंकवाद विरोधी और समुद्री सुरक्षा जैसे aक्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहा है। यह यात्रा न केवल भारत-साइप्रस संबंधों को मजबूत करती है, बल्कि यूरोपीय संघ और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करती है।
भारत की वैश्विक पहचान
यह सम्मान भारत की वैश्विक कूटनीति और पीएम मोदी के नेतृत्व का एक और प्रमाण है। अब तक 23 देशों ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मानों से नवाजा है, जिसमें साइप्रस, श्रीलंका, रूस, और भूटान जैसे देश शामिल हैं। यह पुरस्कार भारत की आर्थिक प्रगति, डिजिटल क्रांति, और वैश्विक शांति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। साइप्रस में भारतीय समुदाय ने “वंदे मातरम” और “भारत माता की जय” के नारों के साथ पीएम मोदी का स्वागत किया, जो इस गर्व के क्षण को और यादगार बनाता है।
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