पोते संग फरार हुई दादीपोते संग फरार हुई दादी

घोर कलयुग पोते संग दादी फरार मंदिर मे की शादी

उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर से एक ऐसी खबर ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। एक 52 साल की दादी ने अपने ही 30 साल के रिश्ते के पोते के साथ मंदिर में सात फेरे ले लिए! जी हां, यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है, जो बसखारी थाना क्षेत्र के प्रतापपुर बेलवरिया गांव में सामने आई। इस अनोखे और विवादास्पद रिश्ते ने न सिर्फ परिवार और गांव को तोड़ दिया, बल्कि सामाजिक मर्यादाओं पर भी तीखे सवाल खड़े कर दिए। आइए, इस घटना की गहराई में उतरें, इसकी कड़ी आलोचना करें और समझें कि आखिर यह प्यार है, बगावत है, या सामाजिक मूल्यों की अनदेखी।

पोते संग फरार हुई दादी

क्या है यह सनसनीखेज मामला?

इंद्रावती, 52 साल की चार बच्चों की मां, अपने रिश्ते के पोते (30 साल) के साथ इतनी करीब आ गईं कि दोनों ने प्रेम की राह पकड़ ली। यह रिश्ता धीरे-धीरे इतना गहरा गया कि दोनों ने गांव छोड़कर मंदिर में शादी कर ली। इस खबर ने इंद्रावती के पति को सदमे में डाल दिया, जिन्होंने गंभीर आरोप लगाए कि उनकी पत्नी और उसके प्रेमी ने उनकी हत्या की साजिश तक रची थी। पति का कहना है, “मेरे लिए वह अब मर चुकी है।” गांव वालों ने भी इस जोड़े को पूरी तरह बहिष्कृत कर दिया। लेकिन सवाल यह है: क्या यह रिश्ता सचमुच प्यार है, या सामाजिक ढांचे पर हमला?

पोते संग फरार हुई दादी

क्यों है यह रिश्ता अस्वीकार्य?

पारिवारिक मर्यादा का उल्लंघन: भारतीय संस्कृति में दादी-पोते का रिश्ता पवित्र और सम्मानजनक होता है। यह देखभाल, मार्गदर्शन और स्नेह का बंधन है, न कि प्रेम या विवाह का। इस रिश्ते ने न सिर्फ परिवार की नींव हिलाई, बल्कि समाज के सामने एक गलत मिसाल पेश की। क्या आप ऐसे रिश्ते को जायज ठहरा सकते हैं?

उम्र का अंतर और नैतिकता: 22 साल की उम्र का अंतर और रिश्ते की प्रकृति इस विवाह को और भी विवादास्पद बनाती है। समाज में प्रेम की आजादी की बात होती है, लेकिन क्या यह आजादी सामाजिक और नैतिक सीमाओं को तोड़ने की इजाजत देती है?

परिवार पर गहरा आघात: इंद्रावती के पति और बच्चों के लिए यह घटना किसी सदमे से कम नहीं। पति का दावा है कि उनकी हत्या की साजिश रची गई, जो इस रिश्ते की गंभीरता को और उजागर करता है। क्या एक व्यक्ति का प्यार पूरे परिवार को तबाह करने का हक रखता है?

सामाजिक बहिष्कार: गांव वालों ने इस जोड़े को समाज से बाहर कर दिया, जो दर्शाता है कि यह रिश्ता सामूहिक स्वीकार्यता से कोसों दूर है। लेकिन क्या बहिष्कार ही इसका समाधान है, या हमें इसकी जड़ तक जाना चाहिए?

दादी पोते की शादी पर  कानून क्या कहता है

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत, निषिद्ध रिश्तों (सपिंड संबंध) में विवाह अवैध माना जाता है। इस मामले में कानूनी कार्रवाई की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन यह रिश्ता सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से पूरी तरह अस्वीकार्य है। यह घटना यह भी बताती है कि आधुनिकता के नाम पर कुछ लोग पारंपरिक मूल्यों को चुनौती दे रहे हैं, लेकिन क्या यह सही दिशा है?

पोते संग फरार हुई दादी

यह रिश्ता समाज को क्या सिखाता है?

मूल्यों का पतन: यह घटना दर्शाती है कि सामाजिक मूल्य और पारिवारिक रिश्तों की पवित्रता पर सवाल उठ रहे हैं। क्या हमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता को हर कीमत पर बढ़ावा देना चाहिए?

सामाजिक दबाव और स्वतंत्रता: गांव का बहिष्कार और परिवार का विरोध दिखाता है कि समाज अभी ऐसे रिश्तों को स्वीकार करने को तैयार नहीं। लेकिन क्या यह दबाव व्यक्तिगत अधिकारों का हनन करता है?

युवा पीढ़ी पर असर: ऐसी खबरें युवाओं के मन में रिश्तों और नैतिकता को लेकर भ्रम पैदा कर सकती हैं। क्या हमें इस पर खुलकर बात करने की जरूरत नहीं?

आखिर रास्ता क्या है?

यह घटना न सिर्फ एक परिवार की कहानी है, बल्कि समाज के सामने एक बड़ा सवाल है: प्यार और सामाजिक मर्यादा के बीच की रेखा कहां खींची जाए? प्रेम व्यक्तिगत हो सकता है, लेकिन जब वह समाज की नींव को हिलाता है, तो उसकी आलोचना जरूरी हो जाती है। हमें शिक्षा, जागरूकता और संवाद के जरिए ऐसी घटनाओं को समझने और रोकने की दिशा में काम करना होगा।
आप क्या सोचते हैं? क्या यह प्यार की जीत है, या सामाजिक मर्यादाओं का अपमान? क्या समाज को ऐसे रिश्तों को स्वीकार करना चाहिए, या इनकी कड़ी निंदा जरूरी है? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं और इस ब्लॉग को शेयर करें, ताकि यह बहस हर किसी तक पहुंचे।

By Abhishek Anjan

I am a mass communication student and passionate writer. With the last four -year writing experience, I present intensive analysis on politics, education, social issues and viral subjects. Through my blog, I try to spread awareness in the society and motivate positive changes.

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