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चिनाब ब्रिज के पीछे 17 सालों तक एक महिला का संघर्ष !

चिनाब ब्रिज, दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज, न केवल भारतीय इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है, बल्कि यह प्रोफेसर जी. माधवी लता की 17 सालों की मेहनत और समर्पण का प्रतीक भी है। जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बना यह ब्रिज कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, और इसके निर्माण में प्रोफेसर माधवी लता की भूमिका अभूतपूर्व रही है। आइए, उनके इस प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी को जानते हैं और समझते हैं कि कैसे उन्होंने असंभव को संभव बनाया।
प्रोफेसर जी. माधवी लता

चिनाब ब्रिज: एक इंजीनियरिंग चमत्कार

चिनाब ब्रिज, जो 359 मीटर की ऊंचाई पर चिनाब नदी के ऊपर बना है, एफिल टॉवर से भी ऊंचा है। यह 1,315 मीटर लंबा ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) का हिस्सा है। यह 8.5 तीव्रता के भूकंप, 260 किमी/घंटे की तेज हवाओं, और -20 डिग्री सेल्सियस के तापमान को झेलने में सक्षम है। इसके निर्माण में 28,000 टन स्टील और विशेष कंक्रीट का उपयोग हुआ है, और इसे ब्लास्ट-प्रूफ तकनीक से बनाया गया है, जो इसे आतंकवाद-प्रभावित क्षेत्रों में भी सुरक्षित रखता है।
प्रोफेसर जी. माधवी लता

प्रोफेसर माधवी लता का योगदान

प्रोफेसर जी. माधवी लता, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में सिविल इंजीनियरिंग और रॉक मैकेनिक्स की विशेषज्ञ, ने इस प्रोजेक्ट में भू-तकनीकी सलाहकार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 2005 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में 17 साल तक काम किया, जिसमें ढलानों की स्थिरता, नींव का डिजाइन, और निर्माण कार्यों का मार्गदर्शन शामिल था। उनकी विशेषज्ञता ने इस चुनौतीपूर्ण पहाड़ी क्षेत्र में ब्रिज के निर्माण को संभव बनाया, जहां खराब मौसम, संकरे रास्ते, और गहरी खाई जैसी बाधाएं थीं।
माधवी लता ने ठेकेदार कंपनी अफकॉन्स के साथ मिलकर ढलानों को स्थिर करने और नींव डिजाइन करने में नेतृत्व किया। उनके द्वारा लिखित लेख, “डिजाइन ऐज यू गो: द केस स्टडी ऑफ चिनाब रेलवे ब्रिज,” में 17 सालों की चुनौतियों और सीख का वर्णन है। उनकी तकनीकी विशेषज्ञता और दृढ़ निश्चय ने इस प्रोजेक्ट को ऐतिहासिक सफलता दिलाई।
प्रोफेसर जी. माधवी लता

माधवी लता: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व

प्रोफेसर माधवी लता ने 1992 में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वारंगल से एमटेक, और IIT-मद्रास से भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। 2021 में उन्हें बेस्ट वुमन जियोटेक्निकल रिसर्चर और 2022 में टॉप 75 वीमेन इन STEAM का पुरस्कार मिला। वह न केवल एक वैज्ञानिक हैं, बल्कि एक प्रेरणा हैं, जिन्होंने यह साबित किया कि सिविल इंजीनियरिंग में महिलाएं भी असाधारण योगदान दे सकती हैं।

चुनौतियों का सामना

चिनाब ब्रिज का निर्माण आसान नहीं था। दुर्गम पहाड़ी इलाके, भारी बर्फबारी, और तकनीकी जटिलताओं ने इस प्रोजेक्ट को बार-बार रोका। माधवी लता और उनकी टीम ने पैदल, घोड़ों, और खच्चरों की मदद से काम किया। स्थानीय लोगों का सहयोग भी महत्वपूर्ण रहा। यह ब्रिज 2002 में शुरू हुआ और 2022 में पूर्ण हुआ, जिसमें कुल लागत 1,486 करोड़ रुपये आई।

By Abhishek Anjan

I am a mass communication student and passionate writer. With the last four -year writing experience, I present intensive analysis on politics, education, social issues and viral subjects. Through my blog, I try to spread awareness in the society and motivate positive changes.

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