क्या सच में म्यांमार जैसा भूकंप भारत में भी हो सकता है? अगर होगा तो कब?

हाल ही में म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। 28 मार्च, 2025 को आए इस भूकंप ने तबाही मचाई, इमारतें ढहाईं, और सैकड़ों लोगों की जान ले ली। भारत के कुछ हिस्सों में भी इसके झटके महसूस हुए, जिसके बाद एक सवाल हर किसी के मन में उठ रहा है – क्या भारत में भी ऐसा विनाशकारी भूकंप आ सकता है? और अगर हां, तो यह कब होगा? इस ब्लॉग में हम इस सवाल का वैज्ञानिक जवाब ढूंढेंगे और जानेंगे कि भारत इस खतरे से कितना तैयार है।


म्यांमार में भूकंप: एक नजर

म्यांमार का हालिया भूकंप सागाइंग फॉल्ट के पास आया, जो इंडियन प्लेट और बर्मा प्लेट के टकराव का नतीजा था। 7.7 तीव्रता और सिर्फ 10 किलोमीटर की गहराई ने इसे बेहद खतरनाक बनाया। इसकी वजह से इमारतें जमींदोज हो गईं, सड़कें टूट गईं, और राहत कार्यों में भारी मुश्किलें आईं। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों जैसे असम और मणिपुर में भी हल्के झटके महसूस हुए। यह घटना भारत के लिए एक चेतावनी हो सकती है।

क्या भारत में म्यांमार जैसा भूकंप संभव है?

हां, यह न सिर्फ संभव है, बल्कि भारत की भूगर्भीय स्थिति इसे और भी संभावित बनाती है। भारत टेक्टोनिक प्लेट्स के जंक्शन पर स्थित है। इंडियन प्लेट हर साल 4-5 सेंटीमीटर उत्तर की ओर बढ़ती है और यूरेशियन प्लेट से टकराती है। यह टक्कर हिमालय को ऊंचा करती है, लेकिन साथ ही भूकंप का खतरा भी बढ़ाती है।

भारत के भूकंप संवेदनशील क्षेत्र
हिमालय क्षेत्र: जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और पूर्वोत्तर राज्य (असम, मणिपुर, अरुणाचल) जोन V में आते हैं, जहां 7+ तीव्रता का भूकंप आ सकता है।

दिल्ली-एनसीआर: जोन IV में होने के कारण खतरा बना हुआ है।

गुजरात का कच्छ: 2001 में 7.7 तीव्रता का भूकंप इसका उदाहरण है।

बिहार और पश्चिम बंगाल: 1934 में 8.1 तीव्रता का भूकंप आ चुका है।
पिछले भूकंप जैसे 2001 का भुज भूकंप और 2004 का सुनामी भूकंप (9.1) बताते हैं कि भारत म्यांमार जैसी तबाही से अछूता नहीं है।

अगर भारत में ऐसा भूकंप आया तो क्या होगा?

अगर भारत में 7.7 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप आया, तो नुकसान कई बातों पर निर्भर करेगा:
शहरी क्षेत्र: दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में खराब इमारतें ढह सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में ऐसा भूकंप भुज से भी ज्यादा तबाही मचा सकता है।

प्राकृतिक आपदाएं: हिमालय में भूस्खलन और समुद्र तटों पर सुनामी का खतरा बढ़ेगा।

जान-माल का नुकसान: म्यांमार में सैकड़ों मौतें हुईं; भारत में यह संख्या लाखों तक जा सकती है।


यह भूकंप कब आ सकता है?

भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करना आज भी असंभव है। वैज्ञानिक टेक्टोनिक तनाव को माप सकते हैं, लेकिन यह कब रिलीज होगा, यह नहीं बता सकते। हिमालय क्षेत्र में पिछले कई दशकों से तनाव जमा हो रहा है। कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले 50-100 सालों में 8+ तीव्रता का भूकंप आ सकता है। लेकिन म्यांमार के बाद छोटे झटके भारत में महसूस हुए, जो एक बड़े भूकंप का संकेत हो सकते हैं। फिर भी, यह कल भी हो सकता है या दशकों बाद।

भारत की तैयारी: कितने सुरक्षित हैं हम?

भारत ने भूकंप से निपटने के लिए कदम उठाए हैं। नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) और भूकंप-रोधी तकनीक पर काम चल रहा है। लेकिन कई कमियां भी हैं:
निर्माण की गुणवत्ता: ज्यादातर इमारतें भूकंप-रोधी नियमों का पालन नहीं करतीं।

जागरूकता:  घने शहरों में राहत कार्य मुश्किल होंगे।
तैयारी: घर में भारी सामान नीचे रखें, आपातकालीन किट तैयार रखें।

भूकंप के दौरान: टेबल के नीचे छिपें, दीवारों और खिड़कियों से दूर रहें।

बाहर हों तो: खुले मैदान में जाएं, पेड़ों और बिजली के तारों से बचें।

जागरूकता ही रास्ता

म्यांमार जैसा भूकंप भारत में आना संभव है, और यह कब होगा, यह कोई नहीं जानता। लेकिन सही तैयारी और जागरूकता हमें बचा सकती है। क्या आपको लगता है कि भारत इस खतरे के लिए तैयार है? अपनी राय कमेंट में बताएं और इस ब्लॉग को शेयर करें ताकि लोग सतर्क रहें।

 

By Abhishek Anjan

I am a mass communication student and passionate writer. With the last four -year writing experience, I present intensive analysis on politics, education, social issues and viral subjects. Through my blog, I try to spread awareness in the society and motivate positive changes.

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