Fighter jets तैयार, Border alert और पीएम मोदी का बड़ा बयान
पिछले कुछ दिनों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, भारत को गहरे सदमे में डाल दिया। इस हमले के तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े होने के सबूत सामने आए हैं, जिसके बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाया है।
भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स तैयार हैं, सीमाएं हाई अलर्ट पर हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि “आतंकियों और उनके समर्थकों को धरती के किसी भी कोने से ढूंढकर सजा दी जाएगी।” यह बयान न केवल भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है, बल्कि पाकिस्तान की दोहरी नीति और आतंकवाद को पनाह देने की उसकी पुरानी आदत की भी कड़ी आलोचना करता है।
पहलगाम हमला: पाकिस्तान की करतूत,और पीएम मोदी का बड़ा बयान
22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, उन्हें धर्म के आधार पर अलग किया और बेरहमी से हत्या कर दी। भारतीय पुलिस ने हमले में शामिल तीन आतंकियों में से दो को पाकिस्तानी नागरिक के रूप में पहचाना। यह हमला कोई अकेली घटना नहीं है
बल्कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का एक और उदाहरण है। भारत ने हमेशा से कहा है कि पाकिस्तान कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देता है और आतंकियों को धन, हथियार और प्रशिक्षण प्रदान करता है। इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का एक छद्म संगठन है।
पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इन आरोपों से इनकार किया और इसे “झूठा प्रचार” करार दिया। लेकिन उसका इतिहास झूठ नहीं बोलता। 2008 के मुंबई हमले से लेकर 2019 के पुलवामा हमले तक, पाकिस्तान का आतंकवाद को समर्थन देने का रिकॉर्ड जगजाहिर है। इस बार भी, जब भारत ने हमले के “सीमा पार” संबंधों की बात उठाई, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने इसे “फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन” कहकर खारिज करने की कोशिश की। यह दोहरा चरित्र न केवल शर्मनाक है, बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
Fighter jets तैयार,भारत का कड़ा जवाब
पहलगाम हमले के बाद भारत ने त्वरित और निर्णायक कदम उठाए। प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब का अपना दौरा बीच में छोड़कर भारत लौटे और तुरंत कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक बुलाई। इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी बॉर्डर को बंद करना, और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को रद्द करना शामिल है। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है, और फाइटर जेट्स को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया गया है।
भारत का यह रुख स्पष्ट करता है कि वह अब आतंकवाद के खिलाफ “शून्य सहनशीलता” की नीति पर चल रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि भारत का जवाब सिर्फ आतंकियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उनके समर्थकों को भी सबक सिखाया जाएगा। यह एक स्पष्ट संदेश है कि पाकिस्तान को अपनी हरकतों की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: डर और ढोंग,Border alert
भारत के कड़े कदमों से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। उसने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, व्यापार निलंबित कर दिया, और सिंधु जल संधि के निलंबन को “युद्ध की कार्रवाई” करार दिया। लेकिन यह सब उसकी घबराहट का सबूत है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई, जिसमें भारत के कदमों को “अनुचित और अवैध” बताया गया। साथ ही, उसने अपने 18 फाइटर जेट्स को कराची से लाहौर भेजा और वायुसेना को हाई अलर्ट पर रखा। यह सब दिखाता है कि पाकिस्तान भारत के जवाब से डर गया है, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय उल्टा भारत पर ही आरोप लगा रहा है।
पाकिस्तान की दोहरी नीति: वैश्विक शांति के लिए खतरा
पाकिस्तान की नीति हमेशा से दोमुंही रही है। एक तरफ वह दुनिया के सामने शांति की बात करता है, दूसरी तरफ आतंकी संगठनों को पनाह देता है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से “अधिकतम संयम” बरतने की अपील की है, लेकिन सवाल यह है कि जब एक देश लगातार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा हो, तो संयम की उम्मीद कैसे की जा सकती है? वैश्विक नेताओं, जैसे अमेरिका की खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड, ने भी हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता दिखाई। यह दिखाता है कि दुनिया पाकिस्तान की हरकतों से वाकिफ है।
पहलगाम हमला भारत के लिए एक चेतावनी है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। पीएम मोदी का बयान, “हम आतंकियों को धरती के किसी भी कोने से ढूंढकर सजा देंगे,” न केवल भारत की जनता के लिए एक आश्वासन है, बल्कि पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी भी है। भारत को अब न केवल सैन्य स्तर पर, बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर भी पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाना होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी चाहिए कि वह पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने के लिए मजबूर करे।
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