House Arrest Show : मनोरंजन की आड़ में अश्लीलता का तमाशा चला रहा एजाज खान ?”
एजाज खान का शो ‘हाउस अरेस्ट’: अश्लीलता का पर्याय
आज के डिजिटल युग में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने मनोरंजन की दुनिया को नई दिशा दी है। जहां एक ओर ये प्लेटफॉर्म रचनात्मकता और कहानी कहने का नया माध्यम बनकर उभरे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ शोज़ के नाम पर अश्लीलता और नैतिक पतन को बढ़ावा देने का आरोप भी लग रहा है। ऐसा ही एक शो है ‘हाउस अरेस्ट’, जिसे अभिनेता एजाज खान होस्ट कर रहे हैं और जो उल्लू ऐप पर स्ट्रीम हो रहा था। यह शो अपनी अश्लील सामग्री के कारण विवादों के घेरे में है और समाज, संस्कृति, और नैतिकता पर इसके प्रभाव को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
‘हाउस अरेस्ट’ और उसका विवाद क्यों ?
‘हाउस अरेस्ट’ एक रियलिटी शो है, जिसे बिग बॉस और लॉकअप जैसे शोज़ की तर्ज पर बनाया गया था। इसमें प्रतिभागियों को एक घर में बंद कर विभिन्न टास्क दिए जाते हैं। हालांकि, इस शो के टास्क और कंटेंट ने अश्लीलता की सारी हदें पार कर दी हैं। वायरल वीडियो क्लिप्स में दिखाया गया है कि होस्ट एजाज खान प्रतिभागियों, खासकर महिला कंटेस्टेंट्स, से आपत्तिजनक टास्क करवाते हैं, जैसे कपड़े उतारना, कामसूत्र पोजीशन दिखाना, और निजी सवालों के जवाब देना। इन दृश्यों ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाईं, और लोग इसे भारतीय संस्कृति और समाज के लिए खतरा बता रहे हैं।
क्या यह सिर्फ अश्लीलता फैलाने के लिए बना है?
‘हाउस अरेस्ट’ के कंटेंट को देखकर यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या यह शो केवल सनसनी और अश्लीलता फैलाने के लिए बनाया गया है? वायरल क्लिप्स में दिखाए गए दृश्य—जैसे महिला प्रतिभागियों से अंडरगारमेंट्स उतारने या सेक्स पोजीशन सिखाने के टास्क—मनोरंजन की बजाय सस्ते सनसनीखेज कंटेंट की ओर इशारा करते हैं। शो के डिस्क्लेमर में इसे 18+ के लिए बताया गया है, लेकिन यह तर्क पर्याप्त नहीं है। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली क्लिप्स बच्चों और किशोरों तक आसानी से पहुंच रही हैं, जो उनकी मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
शो की एक प्रतिभागी, गहना वशिष्ठ, ने इसका बचाव करते हुए कहा कि सभी प्रतिभागी अपनी मर्जी से टास्क कर रहे थे और प्रियंका चोपड़ा या राधिका आप्टे जैसे सितारों के बोल्ड सीन पर सवाल क्यों नहीं उठाए जाते। हालांकि, यह तर्क कमजोर है, क्योंकि सिनेमाई कंटेंट और रियलिटी शो के टास्क में संदर्भ और प्रस्तुति का अंतर होता है। ‘हाउस अरेस्ट’ में प्रतिभागियों को अपमानजनक और अश्लील टास्क करने के लिए दबाव डाला गया, जिसमें उनकी सहमति को नजरअंदाज किया गया।
House Arrest Show से समाज और संस्कृति पर प्रभाव
‘हाउस अरेस्ट’ जैसे शो समाज और संस्कृति को किस दिशा में ले जा रहे हैं? यह एक गंभीर सवाल है। भारतीय संस्कृति में नारी गरिमा और नैतिक मूल्यों को हमेशा महत्व दिया गया है, लेकिन ऐसे शो इन मूल्यों पर हमला करते प्रतीत होते हैं। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, “यह सब भारतीय ओटीटी पर दिखाया जा रहा है। क्या आप सोच सकते हैं कि यह हमारे समाज और संस्कृति को कितना नुकसान पहुंचा रहा है?”
ऐसे कंटेंट से न केवल युवा पीढ़ी की मानसिकता प्रभावित हो रही है, बल्कि यह महिलाओं के प्रति समाज में गलत धारणाओं को भी बढ़ावा देता है। चित्रा वाघ ने इसे “युवा पीढ़ी के दिमाग पर विकृत हमला” करार दिया, और यह कहना गलत नहीं होगा कि ऐसी सामग्री नैतिक पतन को बढ़ावा देती है। इसके अलावा, यह शो बच्चों के लिए असुरक्षित है, क्योंकि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सख्त सेंसरशिप की कमी के कारण ऐसी सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
अब ओटीटी पर सेंसरशिप की जरूरत
‘हाउस अरेस्ट’ ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित किया है। जब सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली फिल्मों के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) जैसे नियामक हैं, तो ओटीटी को इस दायरे से बाहर क्यों रखा गया है? गहना वशिष्ठ ने भी सेंसरशिप की वकालत करते हुए कहा कि अगर गाइडलाइंस हों, तो अश्लील कंटेंट को नियंत्रित किया जा सकता है।
पिछले साल सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अश्लील सामग्री के लिए ब्लॉक किया था, लेकिन उल्लू जैसे ऐप्स अभी भी इस तरह के कंटेंट को बढ़ावा दे रहे हैं। यह सवाल उठता है कि क्या सरकार और नियामक संस्थाएं इस दिशा में पर्याप्त कदम उठा रही हैं?
‘हाउस अरेस्ट’ जैसे शो न केवल मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज और संस्कृति के लिए एक गंभीर खतरा भी बन रहे हैं। यह शो भारतीय मूल्यों, नारी गरिमा, और नैतिकता पर हमला करता है। एजाज खान और उल्लू ऐप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, जैसे मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज FIR और NCW का समन, स्वागत योग्य कदम हैं। हालांकि, इस समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है जब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सख्त सेंसरशिप और नियमन लागू किया जाए।
हमें यह तय करना होगा कि मनोरंजन की आड़ में हम अपनी संस्कृति और समाज को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। ‘हाउस अरेस्ट’ जैसे शो सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संकट का प्रतीक हैं, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह समय है कि हम जागरूक हों, आवाज उठाएं, और ऐसी सामग्री के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएं।
आप क्या सोचते हैं? क्या ओटीटी पर सेंसरशिप जरूरी है, या यह रचनात्मक स्वतंत्रता का हनन है? अपनी राय कमेंट्स में साझा करें।
I am a mass communication student and passionate writer. With the last four -year writing experience, I present intensive analysis on politics, education, social issues and viral subjects. Through my blog, I try to spread awareness in the society and motivate positive changes.
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