China Pakistan को उसका कर Ukrain वाला हाल करेगा : बड़ी खुलासा
पाकिस्तान को चीन क्यों उकसा रहा है भारत से युद्ध के लिए? क्या है इसके पीछे की रणनीति?
जिस तरह नाटो ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ उकसाया, उसी तरह चीन पाकिस्तान को भारत के खिलाफ युद्ध के लिए प्रेरित कर रहा है। इसके पीछे क्या कारण हैं, और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की इसमें क्या भूमिका है? आइए, इस में इन सवालों का जवाब तलाशते हैं।
चीन की रणनीति: पाकिस्तान को क्यों चाहिए भारत से युद्ध?
चीन और पाकिस्तान की दोस्ती को अक्सर “पर्वतों से ऊंचा, समंदरों से गहरा” कहा जाता है। यह दोस्ती केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक हितों पर आधारित है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) इस रिश्ते का आधार है, जो चीन के शिनजियांग से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक जाता है। यह परियोजना न केवल चीन के ऊर्जा आयात को आसान बनाती है, बल्कि दक्षिण एशिया में उसकी भू-राजनीतिक पकड़ को भी मजबूत करती है।
लेकिन भारत के साथ तनाव बढ़ाकर चीन क्या हासिल करना चाहता है? विशेषज्ञों के अनुसार, चीन भारत को दक्षिण एशिया में एक मजबूत शक्ति के रूप में उभरने से रोकना चाहता है। भारत की बढ़ती सैन्य ताकत, तकनीकी प्रगति और वैश्विक कूटनीति (जैसे क्वाड और अमेरिका के साथ गठबंधन) चीन के लिए चुनौती बन रही है। पाकिस्तान को भारत के खिलाफ उकसाकर चीन भारत का ध्यान और संसाधन सीमा विवादों और आतंकवाद से निपटने में उलझाना चाहता है।
नाटो-यूक्रेन और चीन-पाकिस्तान: समानता या भ्रम?
कई लोग मानते हैं कि नाटो ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ उकसाया, जिसके परिणामस्वरूप 2022 में युद्ध शुरू हुआ। इसी तरह, कुछ का दावा है कि चीन पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि, दोनों परिदृश्यों में कुछ समानताएं हैं, लेकिन अंतर भी उतने ही स्पष्ट हैं। नाटो ने यूक्रेन को हथियार और प्रशिक्षण देकर रूस के खिलाफ तैयार किया, लेकिन यूक्रेन की अपनी भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी थीं। दूसरी ओर, पाकिस्तान की आर्थिक और सैन्य निर्भरता चीन पर इतनी अधिक है कि वह बीजिंग के इशारों पर चलने को मजबूर है।
चीन ने पाकिस्तान को PL-15 मिसाइलें, ड्रोन, और निगरानी उपकरण जैसे उन्नत हथियार उपलब्ध कराए हैं। ये हथियार न केवल पाकिस्तान की सैन्य क्षमता बढ़ाते हैं, बल्कि चीन को भारत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाने का मौका देते हैं। हालांकि, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में चीन ने पाकिस्तान को केवल बयानों का समर्थन दिया था, सैन्य हस्तक्षेप नहीं। इससे सवाल उठता है कि क्या चीन वाकई युद्ध चाहता है, या सिर्फ तनाव बनाए रखना उसका मकसद है?
आसिम मुनीर की छवि निर्माण की चाह
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर, जो पहले आईएसआई के प्रमुख रह चुके हैं, देश में अपनी छवि को मजबूत करने के लिए भारत के खिलाफ आक्रामक रुख अपना रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, पहलगाम हमले में उनकी भूमिका पर सवाल उठे हैं, और इसे चीन के इशारे पर भारत को अस्थिर करने की साजिश माना जा रहा है।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है, और आंतरिक अस्थिरता (जैसे बलूच विद्रोह और राजनीतिक उथल-पुथल) ने सेना की साख को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में, मुनीर भारत के खिलाफ युद्ध या सीमित सैन्य कार्रवाई को अपनी लोकप्रियता बढ़ाने और देश को एकजुट करने के अवसर के रूप में देख सकते हैं। हालांकि, यह रणनीति जोखिम भरी है, क्योंकि भारत की सैन्य ताकत (272 सुखोई-30 जेट्स, राफेल, और अग्नि-5 मिसाइल) पाकिस्तान से कहीं आगे है।
भारत की स्थिति और भविष्य
भारत ने हमेशा संयम और कूटनीति का रास्ता अपनाया है, लेकिन पहलगाम हमले के बाद उसका रुख सख्त हो गया है। भारतीय नौसेना का हालिया युद्धाभ्यास और INS विक्रांत की तैनाती इस बात का संकेत है कि भारत किसी भी स्थिति के लिए तैयार है। इसके अलावा, भारत के पास अमेरिका, फ्रांस, और जापान जैसे मजबूत सहयोगी हैं, जो युद्ध की स्थिति में उसका साथ दे सकते हैं।
दूसरी ओर, पाकिस्तान की स्थिति कमजोर है। उसकी अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, और अंतरराष्ट्रीय समर्थन केवल चीन और तुर्की तक सीमित है। अगर युद्ध होता है, तो पाकिस्तान के लिए लंबे समय तक टिकना मुश्किल होगा।
चीन की रणनीति स्पष्ट है: वह पाकिस्तान को भारत के खिलाफ एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है ताकि भारत की प्रगति को रोका जा सके। जनरल आसिम मुनीर की महत्वाकांक्षा और पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता इस स्थिति को और जटिल बनाती है। हालांकि, भारत की सैन्य और कूटनीतिक ताकत उसे इस चुनौती से निपटने में सक्षम बनाती है। क्या यह तनाव युद्ध में बदलेगा, या कूटनीति जीत हासिल करेगी? यह समय ही बताएगा।
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