BJP leader did obscene act with the dancer by making her sit on his lapBJP leader did obscene act with the dancer by making her sit on his lap

गोद मे बैठा कर dancer के साथ अश्लील हरकत किए BJP नेता

हाल ही में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से एक ऐसा वीडियो सामने आया, जिसने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि समाज के नैतिक और सामाजिक मूल्यों पर भी सवाल उठाए। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और रसड़ा चीनी मिल के चेयरमैन बब्बन सिंह रघुवंशी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वे एक शादी समारोह में एक महिला डांसर के साथ  अश्लील हरकत करते नजर आए।
BJP leader did obscene act with the dancer by making her sit on his lap

बब्बन सिंह को एक महिला डांसर के साथ अनुचित व्यवहार करते देखा गया।

सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में बब्बन सिंह को एक महिला डांसर के साथ अनुचित व्यवहार करते देखा गया। वीडियो में वे डांसर को अपनी गोद में बिठाकर, उसे छूकर और  अश्लील हरकतें करते दिख रहे हैं। यह घटना एक सार्वजनिक समारोह में हुई, जहां अन्य लोग भी मौजूद थे।
वीडियो के वायरल होने के बाद विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इसे बीजेपी की नैतिकता पर सवाल उठाने का मौका बनाया। बब्बन सिंह ने अपनी सफाई में इसे “साजिश” करार दिया और दावा किया कि यह वीडियो उनकी राजनीतिक छवि को धूमिल करने के लिए जानबूझकर वायरल किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि यह घटना बिहार की है और उनकी उम्र (70 वर्ष) को देखते हुए ऐसी हरकतों का आरोप बेबुनियाद है।
इसके बावजूद, बीजेपी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बब्बन सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई पर्याप्त है? और इस घटना का समाज पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
1. नेतृत्व की नैतिकता पर सवाल
बब्बन सिंह जैसे नेता, जो सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण पदों पर हैं, समाज के लिए एक उदाहरण होते हैं। जब ऐसे लोग अनुचित व्यवहार में लिप्त पाए जाते हैं, तो यह न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उस पार्टी और संस्था की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। एक नेता का व्यवहार समाज के लिए दिशा-निर्देशक होता है। यदि नेता ही सार्वजनिक रूप से महिलाओं के साथ असम्मानजनक व्यवहार करते हैं,
तो यह समाज में गलत संदेश देता है।
खासकर ग्रामीण और छोटे शहरों में, जहां नेताओं को आदर्श के रूप में देखा जाता है, ऐसी घटनाएं युवाओं और आम लोगों के बीच नैतिकता की परिभाषा को धुंधला कर सकती हैं। यह धारणा बन सकती है कि शक्ति और प्रभाव का दुरुपयोग सामान्य है, जो दीर्घकाल में सामाजिक मूल्यों को कमजोर करता है।
2. महिलाओं के सम्मान पर प्रभाव
इस घटना ने एक बार फिर महिलाओं के सम्मान और उनकी गरिमा के मुद्दे को सामने ला दिया। डांसर, जो एक पेशेवर कलाकार थी, के साथ किया गया व्यवहार न केवल उसकी व्यक्तिगत गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज में कुछ वर्गों की महिलाओं को अभी भी सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता। बार डांसर या ऑर्केस्ट्रा कलाकारों को अक्सर सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ता है, और ऐसी घटनाएं उनकी स्थिति को और बदतर बनाती हैं।
यह घटना समाज में यह सवाल उठाती है कि क्या हम वाकई में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दे रहे हैं? जब एक प्रभावशाली व्यक्ति सार्वजनिक मंच पर इस तरह का व्यवहार करता है, तो यह अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकता है। यह न केवल लैंगिक असमानता को बढ़ावा देता है, बल्कि महिलाओं के प्रति हिंसा और असम्मान की संस्कृति को भी पोषित करता है।
3. सोशल मीडिया और सार्वजनिक जवाबदेही
इस घटना ने सोशल मीडिया की ताकत को भी उजागर किया। वीडियो के वायरल होने के बाद जनता ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं और बब्बन सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। सोशल मीडिया ने न केवल इस घटना को सामने लाया, बल्कि नेताओं और प्रभावशाली लोगों की जवाबदेही को भी सुनिश्चित किया। यह एक सकारात्मक पहलू है, क्योंकि यह दर्शाता है कि जनता अब ऐसी हरकतों को चुपचाप बर्दाश्त नहीं करती।
हालांकि, सोशल मीडिया का दूसरा पहलू यह भी है कि यह व्यक्तिगत छवि को तुरंत नष्ट कर सकता है, बिना पूरी सच्चाई सामने आए। बब्बन सिंह ने इसे साजिश बताया, और यह संभव है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ने इस वीडियो को बढ़ावा दिया हो। इससे यह सवाल उठता है कि क्या सोशल मीडिया पर त्वरित न्याय हमेशा उचित होता है?
4. सामाजिक नैतिकता और सांस्कृतिक बदलाव
भारतीय समाज में यौन और नैतिकता से जुड़े मुद्दे हमेशा से संवेदनशील रहे हैं। एक ओर, हम आधुनिकता और खुलेपन की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर, सार्वजनिक मंचों पर ऐसी हरकतें सामाजिक रूढ़ियों को पुख्ता करती हैं। यह घटना उन सांस्कृतिक विरोधाभासों को उजागर करती है, जहां एक ओर हम महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हैं, और दूसरी ओर, कुछ लोग उनके साथ वस्तु जैसा व्यवहार करते हैं।
यह समाज के लिए एक अवसर भी हो सकता है कि हम अपनी सांस्कृतिक और नैतिक प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करें। क्या हमें ऐसी घटनाओं को केवल व्यक्तिगत गलती मानकर नजरअंदाज करना चाहिए, या इनके पीछे की सामाजिक मानसिकता को बदलने की जरूरत है?

By Abhishek Anjan

I am a mass communication student and passionate writer. With the last four -year writing experience, I present intensive analysis on politics, education, social issues and viral subjects. Through my blog, I try to spread awareness in the society and motivate positive changes.

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