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Pakistan मे अगले 24 से 36 घंटों मे बड़ी सैन्य कारवाई !

 

हाल ही में Pakistan के सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तरार ने दावा किया कि भारत अगले 24 से 36 घंटों में पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की योजना बना रहा है। यह बयान #Pahalgam आतंकी हमले के बाद India-Pakistan के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है, जिसमें 28  लोगों की जान गई थी। इस घटना ने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और गहरा कर दिया है। लेकिन सवाल यह है कि पाकिस्तानी मंत्रियों में भारत की संभावित कार्रवाई को लेकर इतना डर क्यों है?

Pahalgam हमले ने बढ़ाया तनाव

22 अप्रैल,  को Jammu-Kashmir के Pahalgam में हुए आतंकी हमले ने भारत को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया। भारत ने इस हमले के लिए Pakistan समर्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया, जिसके बाद भारत ने कई कड़े कदम उठाए, जैसे:

सिंधु जल संधि का निलंबन: भारत ने इस संधि को स्थगित कर सिंधु नदी का पानी रोकने और झेलम नदी में पानी छोड़ने की कार्रवाई की, जिससे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बाढ़ जैसे हालात बन गए।

कूटनीतिक कदम: भारत ने वाघा बॉर्डर बंद कर दिया, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए, और SAARC वीजा छूट खत्म कर दी।

सैन्य तैयारियां: भारतीय वायुसेना ने राजस्थान में राफेल लड़ाकू विमानों के साथ अभ्यास शुरू किया, और सीमा पर सैन्य उपस्थिति को मजबूत किया।

इन कदमों ने पाकिस्तान में खौफ का माहौल पैदा कर दिया। पाकिस्तानी सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है, और मंत्रियों के बयानों में डर साफ झलक रहा है।
पाकिस्तानी मंत्रियों में डर की प्रमुख वजहें

भारत की सैन्य शक्ति |

भारत की सैन्य ताकत दुनिया में चौथे स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 12वें स्थान पर। भारत के पास 14.44 लाख सक्रिय सैनिक, 4201 टैंक, और INS विक्रांत जैसे युद्धपोत हैं, जो पाकिस्तान की सैन्य क्षमता से कहीं आगे हैं। हाल के वर्षों में भारत ने अमेरिका, फ्रांस, और इजरायल से 20 अरब डॉलर से अधिक के हथियार खरीदे हैं, जिससे उसकी रणनीतिक स्थिति मजबूत हुई है। दूसरी ओर, पाकिस्तानी सेना की कमजोरियां, जैसे आंतरिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार, और आतंकवाद को समर्थन, उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं।

आर्थिक संकट और अंतरराष्ट्रीय अलगाव

पाकिस्तान पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, और भारत के कूटनीतिक कदम, जैसे सिंधु जल संधि का निलंबन, ने उसके लिए पानी और कृषि संकट को और गहरा कर दिया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत को वाशिंगटन, पेरिस, और तेल अवीव जैसे देशों का समर्थन प्राप्त है, जबकि पाकिस्तान का समर्थन केवल चीन तक सीमित है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की कोशिश तेज कर दी है।

आतंकवाद को समर्थन की नीति का उल्टा असर

पाकistani सेना पर लंबे समय से आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने PoK में आतंकी लॉन्च पैड्स को निशाना बनाने की चेतावनी दी। पाकिस्तान ने अपने आतंकियों को सेना के बंकरों में शिफ्ट करना शुरू कर दिया, जो यह दर्शाता है कि वह भारत की सर्जिकल स्ट्राइक या हवाई हमले से डर रहा है। 2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक ने पाकिस्तान को भारत की त्वरित जवाबी कार्रवाई की ताकत दिखाई थी।

परमाणु हथियारों की गीदड़-भभकी

पाकिस्तानी मंत्रियों, जैसे रेल मंत्री हनीफ अब्बासी, ने भारत को परमाणु हमले की धमकी दी है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल गीदड़-भभकी है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि परमाणु हथियार तभी इस्तेमाल होंगे, जब देश के अस्तित्व पर खतरा होगा। यह बयान उनके डर को दर्शाता है कि भारत की कार्रवाई इतनी तीव्र हो सकती है कि पाकिस्तान को अपनी अंतिम रक्षा रणनीति पर विचार करना पड़े।

आंतरिक अस्थिरता और सैन्य मनोबल

पाकिस्तान की सेना IED हमलों में 40 जवानों को खो चुकी है, जिससे उसका मनोबल कमजोर हुआ है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में सैनिकों की स्थिति खराब है, और सेना की फिटनेस और प्रशिक्षण पर सवाल उठ रहे हैं। इसके विपरीत, भारत की सेना आत्मविश्वास से भरी है और उसने अपनी रणनीतिक तैयारियों को मजबूत किया है।

ऐतिहासिक संदर्भ और भविष्य की संभावनाएं

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का इतिहास 1947 के विभाजन से शुरू होता है। कश्मीर विवाद, 1965, 1971, और 1999 के युद्ध, और आतंकवादी हमलों ने दोनों देशों के रिश्तों को हमेशा तनावपूर्ण रखा। 1971 के युद्ध में भारत ने नेवल ब्लॉकेज के जरिए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया था, और वर्तमान में भी नेवल ब्लॉकेज की मांग उठ रही है।

पाकिस्तानी मंत्रियों का डर केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं है; वे भारत के कूटनीतिक और आर्थिक दबाव से भी घबराए हुए हैं। भारत का सख्त रुख, जैसे शिमला समझौते को खतरे में डालना और PoK में कार्रवाई की चेतावनी, पाकिस्तान को असहज कर रहा है।

क्या होगी भारत की अगली रणनीति?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की कार्रवाई सर्जिकल स्ट्राइक, हवाई हमले, या नेवल ब्लॉकेज के रूप में हो सकती है। भारत ने पहले भी आतंकवाद के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की है, और इस बार भी वह पीछे नहीं हटेगा। हालांकि, भारत का रुख संयमित लेकिन दृढ़ है, क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन बनाए रखना चाहता है।

पाकिस्तानी मंत्रियों का डर भारत की सैन्य ताकत, कूटनीतिक रणनीति, और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का परिणाम है। पहलगाम हमले ने भारत को एक बार फिर सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया है, और पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। अगले 24-36 घंटे दोनों देशों के लिए निर्णायक हो सकते हैं। क्या भारत सैन्य कार्रवाई करेगा, या यह तनाव कूटनीतिक स्तर पर सुलझ जाएगा? यह समय ही बताएगा।
आप क्या सोचते हैं? क्या भारत को सैन्य कार्रवाई करनी चाहिए, या कूटनीति के रास्ते पर चलना चाहिए? अपनी राय कमेंट में साझा करें!

By Abhishek Anjan

I am a mass communication student and passionate writer. With the last four -year writing experience, I present intensive analysis on politics, education, social issues and viral subjects. Through my blog, I try to spread awareness in the society and motivate positive changes.

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