नेपाल आजकल सुर्खियों में क्यों है ?
नेपाल, हिमालय की गोद में बसा यह छोटा सा देश, आजकल सुर्खियों में है। एक तरफ पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की गिरफ्तारी की अटकलें तेज हैं, तो दूसरी ओर देश को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। क्या सच में नेपाल में राजशाही की वापसी हो सकती है? क्या हिंदू राष्ट्र का सपना पूरा होगा? आइए, इस लेख में इन सवालों के जवाब विस्तार से तलाशते हैं और नेपाल के मौजूदा हालात पर नजर डालते हैं।
नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की गिरफ्तारी की चर्चा क्यों?
2008 में नेपाल ने 240 साल पुरानी राजशाही को अलविदा कहकर खुद को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया था। तब से पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह एक आम नागरिक की तरह काठमांडू में रह रहे हैं। लेकिन हाल के दिनों में उनके समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। इन प्रदर्शनों में हिंसा भी देखने को मिली है, जिसके बाद सरकार ने सख्त रुख अपनाया है।
मार्च 2025 तक, खबरें आ रही हैं कि ज्ञानेंद्र शाह को नजरबंद कर दिया गया है और उनकी सुरक्षा में कटौती की गई है। कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि सरकार उनकी गिरफ्तारी की योजना बना रही है, ताकि बढ़ते आंदोलन को दबाया जा सके। लेकिन क्या यह सच है? अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सरकार की ओर से एक दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है, जिससे राजशाही समर्थकों का जोश ठंडा हो जाए। फिर भी, अगर प्रदर्शन और हिंसा बढ़ती रही, तो गिरफ्तारी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र की मांग क्यों उठ रही है?
नेपाल की 80% से ज्यादा आबादी हिंदू है। 2008 तक यह दुनिया का एकमात्र आधिकारिक हिंदू राष्ट्र था। लेकिन माओवादी आंदोलन और लोकतांत्रिक सुधारों के बाद इसे धर्मनिरपेक्ष घोषित कर दिया गया। पिछले कुछ सालों में, खासकर 2020 के बाद से, कई संगठन और आम लोग यह मांग कर रहे हैं कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र का दर्जा दिया जाए। इसके पीछे कई कारण हैं:
लोकतंत्र से असंतोष: लोग मानते हैं कि लोकतांत्रिक सरकारें भ्रष्टाचार और अराजकता को रोकने में नाकाम रही हैं। राजशाही के दौर को वे “सुशासन” का समय मानते हैं।
हिंदू पहचान की चाह: नेपाल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान हिंदू धर्म से गहरे जुड़ी है। कई लोगों को लगता है कि धर्मनिरपेक्षता ने उनकी इस पहचान को कमजोर किया है।
ईसाई प्रभाव का डर: कुछ संगठनों का दावा है कि धर्मनिरपेक्षता के बाद ईसाई मिशनरियों का प्रभाव बढ़ा है, जिससे हिंदू संस्कृति खतरे में है।
भारत का प्रभाव: पड़ोसी देश भारत में हिंदुत्व की राजनीति के उभार ने भी नेपाल के हिंदू राष्ट्र समर्थकों को प्रेरित किया है। योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं से पूर्व राजा की मुलाकातें भी चर्चा में रही हैं।
इन सबके बीच, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) जैसी पार्टियां और हिंदू स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन इस मांग को हवा दे रहे हैं। काठमांडू की सड़कों पर “राजा वापस आओ, देश बचाओ” जैसे नारे गूंज रहे हैं।
क्या नेपाल फिर से हिंदू राष्ट्र बन सकता है?
यह सवाल जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए संविधान में संशोधन जरूरी है, जिसके लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत चाहिए। अभी नेपाल की प्रमुख पार्टियां—नेपाल कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी और माओवादी—धर्मनिरपेक्षता के पक्ष में हैं। हालांकि, कुछ नेताओं ने इस मांग का समर्थन भी किया है, जैसे 2022 में पर्यटन मंत्री प्रेम अले ने इसे विचार योग्य बताया था।
लेकिन जनता का एक बड़ा हिस्सा इस बदलाव के पक्ष में दिख रहा है। अगर जनमत संग्रह हुआ, तो परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं। दूसरी ओर, वामपंथी सरकार इसे “राजशाही की साजिश” करार दे रही है और इसे दबाने की कोशिश में जुटी है। अंतरराष्ट्रीय दबाव भी एक बड़ा फैक्टर है—कई देश धर्मनिरपेक्ष नेपाल को ही पसंद करते हैं।
भारत की भूमिका क्या होगी?
नेपाल और भारत के रिश्ते हमेशा से गहरे रहे हैं। भारत के लिए नेपाल का स्थिर रहना जरूरी है, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए। कुछ लोग मानते हैं कि भारत चुपचाप राजशाही और हिंदू राष्ट्र की मांग का समर्थन कर सकता है, क्योंकि यह उसके हिंदुत्ववादी एजेंडे से मेल खाता है। लेकिन भारत ने अभी तक इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं कहा है। अगर नेपाल में अस्थिरता बढ़ी, तो भारत की भूमिका निर्णायक हो सकती है।
निष्कर्ष: आगे क्या होगा?
फिलहाल, नेपाल एक अनिश्चित मोड़ पर खड़ा है। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की गिरफ्तारी की संभावना प्रदर्शनों की तीव्रता पर निर्भर करेगी। अगर सरकार सख्ती से आंदोलन को कुचल देती है, तो यह संभावना कम हो सकती है। वहीं, हिंदू राष्ट्र बनने का रास्ता लंबा और जटिल है, लेकिन जनता का समर्थन इसे हकीकत में बदल सकता है।
आप क्या सोचते हैं? क्या नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए? क्या राजशाही की वापसी संभव है? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं। इस लेख को शेयर करें और नेपाल के इस रोमांचक घटनाक्रम पर नजर रखें!
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