विशवास कुमार रमेशविशवास कुमार रमेश

242 मे से एक बचे यात्री यमदूत का दोस्त,जिसने मौत को मात दी

12 जून  को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भरने वाला एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर (फ्लाइट AI171) टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद मेघानीनगर के एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 242 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से 241 की मौत हो गई, लेकिन एक यात्री, विशवास कुमार रमेश, चमत्कारिक रूप से बच निकले। उनकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे इंसान सबसे भयानक परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है।

यात्रियों की संख्या, घायल, पायलट और प्रमुख व्यक्तियों की पूरी जानकारी
विशवास कुमार रमेश: यमदूत का दोस्त

विशवास कुमार रमेश, 40 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक, जिनका मूल भारत से है, को इस हादसे के बाद “यमदूत का दोस्त” कहा जा रहा है। उनकी सीट 11A, जो इमरजेंसी एग्जिट के पास थी, ने उनकी जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हादसे के तुरंत बाद विशवास ने बताया, “टेकऑफ के 30 सेकंड बाद एक जोरदार धमाका हुआ, और फिर विमान क्रैश हो गया। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ।”

वह खून से लथपथ और घायल अवस्था में विमान के मलबे से बाहर निकले। एक वायरल वीडियो में उन्हें लंगड़ाते हुए, खून से सने कपड़ों में एम्बुलेंस की ओर जाते देखा गया। उन्होंने बताया, “मेरे चारों ओर लाशें थीं। मैं डर गया था। मैं उठा और भागा। विमान के टुकड़े हर जगह बिखरे थे। किसी ने मुझे पकड़ा और एम्बुलेंस में डाला।”

विशवास कुमार रमेश कैसे बच गए?

विशवास का बचना कई कारकों का संयोग था:
सीट 11A की स्थिति: विशवास की सीट इमरजेंसी एग्जिट के ठीक बगल में थी। पुलिस अधिकारी विद्या चौधरी के अनुसार, उन्होंने इमरजेंसी एग्जिट दरवाजा खोलकर विमान से छलांग लगा दी, जिससे वह आग की लपटों से बच गए।

तुरंत प्रतिक्रिया: हादसे के बाद विशवास ने तुरंत भागने का फैसला किया, जिसने उनकी जान बचाई।

चिकित्सा सहायता: उन्हें तुरंत अहमदाबाद के सिविल अस्पताल, असरवा में ले जाया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई गई। डॉ. धवल गमेती ने बताया कि विशवास को छाती, आंखों और पैरों में चोटें आई थीं, लेकिन उनकी जान को खतरा नहीं था।

विशवास कहां के रहने वाले हैं और क्या करते हैं?

विशवास कुमार रमेश पिछले 20 सालों से लंदन में रह रहे हैं। वह एक व्यवसायी हैं और उनकी पत्नी और चार साल का बेटा भी लंदन में ही रहते हैं। वह भारत में अपने परिवार से मिलने आए थे और अपने भाई अजय कुमार रमेश (45) के साथ वापस लंदन जा रहे थे। दुर्भाग्यवश, अजय का इस हादसे में कोई पता नहीं चला और उनकी मृत्यु की आशंका है। विशवास ने अस्पताल से अपने परिवार को फोन कर अजय की तलाश करने की गुहार लगाई।

उनके चचेरे भाई अजय वाल्गी, जो लेस्टर, इंग्लैंड में रहते हैं, ने बीबीसी को बताया, “विशवास ने फोन पर सिर्फ इतना कहा कि वह ठीक हैं। हम उनके भाई के बारे में कुछ नहीं जानते। पूरा परिवार सदमे में है।”

उनसे मिलने कौन-कौन नेता पहुंचे?

भारत के गृह मंत्री अमित शाह: उन्होंने हादसे के दिन ही विशवास से मुलाकात की और उनकी हालत का जायजा लिया। शाह ने कहा, “पूरा देश इस हादसे से सदमे में है और पीड़ितों के परिवारों के साथ खड़ा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: पीएम मोदी ने 13 जून को क्रैश साइट का दौरा किया और अस्पताल में घायलों से मुलाकात की, जिसमें विशवास भी शामिल थे।

ब्रिटिश सांसद शिवानी राजा: लेस्टर ईस्ट की सांसद शिवानी राजा ने विशवास के परिवार से बात की और उनकी निजता का सम्मान करते हुए कहा, “यह एक चमत्कार है कि वह बच गए।”

विशवास की कहानी का महत्व

विशवास कुमार रमेश की कहानी न केवल एक जीवटता की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि विमान सुरक्षा में इमरजेंसी एग्जिट की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उनकी कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो मुश्किल हालात में हिम्मत नहीं हारते। यह हादसा, जिसमें पूर्व गुजरात सीएम विजय रूपाणी सहित कई लोग मारे गए, भारत के लिए एक बड़ा झटका है।

अहमदाबाद विमान दुर्घटना के एकमात्र बचे विशवास कुमार रमेश की कहानी चमत्कार से कम नहीं है। सीट 11A, उनकी त्वरित प्रतिक्रिया और चिकित्सा सहायता ने उन्हें मौत के मुंह से बचा लिया। लंदन में रहने वाले इस व्यवसायी ने न केवल अपनी जान बचाई, बल्कि उनकी कहानी ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। अमित शाह, नरेंद्र मोदी और शिवानी राजा जैसे नेताओं ने उनसे मुलाकात कर उनकी हिम्मत की सराहना की। विशवास की यह कहानी हमें सिखाती है कि सबसे अंधेरी घड़ी में भी उम्मीद की किरण बाकी रहती है।

By Abhishek Anjan

I am a mass communication student and passionate writer. With the last four -year writing experience, I present intensive analysis on politics, education, social issues and viral subjects. Through my blog, I try to spread awareness in the society and motivate positive changes.

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