Pahalgaw terrorist attac: स्वर्ग में बरसी गोलियाँ, टूटा कश्मीर का दिल
पहलगांव, जम्मू-कश्मीर का एक ऐसा खूबसूरत पर्यटन स्थल, जिसे लोग ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहकर पुकारते हैं। बर्फीली वादियों, हरे-भरे मैदानों और घुड़सवारी के मज़े के लिए मशहूर यह जगह, 22 अप्रैल 2025 को एक ऐसी दर्दनाक घटना का गवाह बनी, जिसने न केवल कश्मीर को, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह था पहलगांव का आतंकी हमला, जिसमें निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया गया।
पहलगांव, जम्मू-कश्मीर मे क्या हुआ था?
22 अप्रैल 2025 को पहलगांव के बैसरन घाटी में आतंकियों ने एक सुनियोजित और क्रूर हमला किया। पर्यटकों के एक समूह पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई, जिसमें 26 से 28 लोग मारे गए और कई घायल हुए। आतंकियों ने लोगों से उनका धर्म और नाम पूछकर चुन-चुनकर गोलियाँ चलाईं। इस हमले ने न केवल ज़िंदगियाँ छीनीं, बल्कि कश्मीर की मेहमाननवाज़ी और शांति की छवि पर भी गहरा आघात किया। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी का सबसे बड़ा आतंकी हमला था, जिसने पूरे देश में गुस्सा और दुख की लहर पैदा की।
पहलगांव, जम्मू-कश्मीर मे यह हमला कहाँ हुआ?
हमला पहलगांव के बैसरन घाटी में हुआ, जो अनंतनाग ज़िले में स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह जगह पहलगांव शहर से करीब 5-6 किलोमीटर दूर है और इसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ तक पहुँचने के लिए पर्यटक पैदल या घोड़े पर जाते हैं, जो इसे एक शांत और प्रकृति से भरा स्थान बनाता है। बैसरन घाटी में उस दिन दर्जनों पर्यटक घुड़सवारी और ट्रैकिंग का लुत्फ़ उठा रहे थे, जब आतंकियों ने इस खूबसूरत जगह को खून से रंग दिया।
यह आतंकी हमला मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को दोपहर करीब 2:30 से 2:45 बजे के बीच हुआ। यह समय पर्यटक सीज़न का चरम था, जब बैसरन घाटी में सैलानियों की भारी भीड़ थी। आतंकियों ने इस समय को जानबूझकर चुना, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा नुकसान पहुँचाया जा सके। हमले के बाद पूरे क्षेत्र को सुरक्षा बलों ने घेर लिया, और तलाशी अभियान देर रात तक चलता रहा।
पहलगांव, जम्मू-कश्मीर मे ऐसा क्यों हुआ?
इस हमले का मकसद कश्मीर में डर का माहौल पैदा करना, पर्यटन को नुकसान पहुँचाना और सांप्रदायिक तनाव को भड़काना था। खुफिया सूत्रों के अनुसार, आतंकियों ने पर्यटन स्थलों की पहले से रेकी की थी, खासकर पहलगांव जैसे लोकप्रिय स्थानों की। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन, जैसे लश्कर-ए-तैयबा, का हाथ हो सकता है। यह हमला 2019 में धारा 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में स्थिरता और विकास के खिलाफ एक साजिश के रूप में भी देखा जा रहा है। आतंकियों का इरादा कश्मीर की अर्थव्यवस्था को चोट पहुँचाने और पर्यटकों को डराने का था।
कौन थे इसके पीछे और कौन बने शिकार?
हमलावर: सूत्रों के अनुसार, 6-7 आतंकी इस हमले में शामिल थे, जो 2-2 के समूहों में बँटकर अलग-अलग जगहों पर सक्रिय थे। वे सैन्य या पुलिस की वर्दी में थे और ऑटोमैटिक हथियारों, जैसे AK-47, से लैस थे। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि आतंकी पश्तो भाषा में बात कर रहे थे और उनके हेलमेट पर कैमरे लगे थे, जो हमले को रिकॉर्ड कर रहे थे। दो आतंकियों की पहचान हो चुकी है, और सुरक्षा एजेंसियाँ बाकियों की तलाश में हैं।
पीड़ित: मरने वालों में ज़्यादातर पर्यटक थे, जिनमें महाराष्ट्र, नेपाल, और यूएई के नागरिक शामिल थे। एक स्थानीय कश्मीरी भी इस हमले में मारा गया। घायलों में पर्यटक और स्थानीय लोग दोनों शामिल थे। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने हिंदू पर्यटकों को विशेष रूप से निशाना बनाया, जिसने इस हमले को और भी भयावह बना दिया।
यह हमला कैसे अंजाम दिया गया?
आतंकियों ने इस हमले को बेहद सुनियोजित और क्रूर तरीके से अंजाम दिया। उन्होंने पहले बैसरन घाटी की रेकी की और पर्यटकों की भीड़ का फायदा उठाया। दोपहर 2:30 बजे के आसपास, सैन्य वर्दी में आए 6-7 आतंकियों ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। चश्मदीदों के अनुसार, उन्होंने पहले लोगों से उनके नाम और धर्म पूछे, और फिर अंधाधुंध फायरिंग की। हमले के दौरान केवल 4 फुट चौड़ा निकास मार्ग होने के कारण भगदड़ मच गई, जिससे कई लोग पीछे रह गए और मारे गए।
हमले के बाद आतंकी जंगल की ओर भाग गए। भारतीय सेना की विक्टर फोर्स, CRPF, जम्मू-कश्मीर पुलिस का स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, और ड्रोन की मदद से बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया गया। NIA की टीम भी जाँच के लिए घटनास्थल पर पहुँची।
खौफ का मंज़र और देश की प्रतिक्रिया
हमले के बाद बैसरन घाटी में मातम छा गया। खून से सने मैदान, घायलों की चीखें, और बिखरे हुए सामान—यह मंज़र किसी के लिए भी दिल दहलाने वाला था। एक चश्मदीद ने बताया, “आतंकी 20 फीट की दूरी से गोलियाँ चला रहे थे। जो पीछे रह गए, वे मारे गए।” एक महिला ने रोते हुए कहा, “मेरे पति को गोली मार दी, सिर्फ़ इसलिए कि वे मुस्लिम नहीं लग रहे थे।”
इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली लौटकर तुरंत सुरक्षा बैठक की। गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर पहुँचे और जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों के साथ हाई-लेवल मीटिंग की। पीएम मोदी ने कहा, “इस जघन्य घटना के ज़िम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा।”
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मृतकों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये के मुआवज़े की घोषणा की। PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, “यह हमला पूरे कश्मीर पर हमला है। हम शर्मिंदा हैं।” देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, और जम्मू-कश्मीर में बंद का आह्वान किया गया।
विश्व की प्रतिक्रिया और सुरक्षा सवाल
इस हमले की निंदा विश्व स्तर पर हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “आतंक की इस लड़ाई में अमेरिका भारत के साथ है।” ईरान और सऊदी अरब ने भी हमले की निंदा की।
सुरक्षा एजेंसियों ने माना कि इस हमले में चूक हुई। सवाल उठे कि इतने बड़े पर्यटन स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था क्यों कमज़ोर थी? खुफिया सूत्रों ने बताया कि आतंकियों ने अप्रैल की शुरुआत में ही पहलगांव के होटलों और पर्यटन स्थलों की रेकी की थी।
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