राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग का जवाब!
भारतीय राजनीति में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता हमेशा से चर्चा का विषय रही है। हाल ही में, कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए, जिसके बाद चुनाव आयोग ने भी तीखा जवाब दिया। यह विवाद न केवल राजनीतिक हलकों में, बल्कि आम जनता के बीच भी चर्चा का केंद्र बन गया है।
राहुल गांधी के आरोप क्या हैं?
राहुल गांधी ने हाल के दिनों में कई बार चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके प्रमुख आरोपों में शामिल हैं:
1. वोट चोरी और मतदाता सूची में हेरफेर: राहुल गांधी ने दावा किया कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ मिलकर “वोट चोरी” में शामिल है। उन्होंने विशेष रूप से कर्नाटक और महाराष्ट्र के चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया। उनके अनुसार, पात्र युवा मतदाताओं के नाम हटाए गए, जबकि 50-65 वर्ष की आयु के फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़े गए।
2. 100% पुख्ता सबूत: राहुल गांधी ने दावा किया कि उनके पास कर्नाटक की एक लोकसभा सीट पर वोट चोरी के “100% पुख्ता सबूत” हैं, जिसे वे जल्द ही सार्वजनिक करेंगे। उन्होंने इसे “लोकतंत्र पर एटम बम” करार दिया और कहा कि आयोग को इसके परिणाम भुगतने होंगे।
3. चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल: राहुल ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था की तरह काम नहीं कर रहा, बल्कि भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है। उन्होंने डिजिटल वोटर लिस्ट न देने, सीसीटीवी फुटेज मिटाने और विपक्षी नेताओं को धमकाने जैसे मुद्दों पर भी सवाल उठाए।
4. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में धांधली: राहुल ने 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2024 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अनियमितताओं का आरोप लगाया, जिसे उन्होंने “लोकतंत्र के साथ धोखा” बताया।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के इन आरोपों को “निराधार”, “गैर-जिम्मेदाराना” और “लोकतंत्र का अपमान” करार देते हुए कड़ा जवाब दिया है। आयोग के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
1. आरोपों को आधारहीन बताया: आयोग ने कहा कि राहुल गांधी पुरानी और सुलझ चुकी बातों को बार-बार उठाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, 2018 में मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा लगाए गए समान आरोपों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
2. शपथ पत्र की मांग: कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राहुल गांधी और कांग्रेस से उनके दावों को शपथ पत्र के माध्यम से साबित करने को कहा। आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची की प्रक्रिया पारदर्शी थी और सभी दलों को सूची की कॉपी दी गई थी, लेकिन कांग्रेस ने कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की।
3. माफी मांगने की चुनौती: आयोग ने राहुल गांधी को दो विकल्प दिए- या तो अपने आरोपों के समर्थन में शपथ पत्र देकर कानूनी कार्रवाई करें, या फिर देश से माफी मांगें। आयोग ने कहा कि बार-बार बेबुनियाद आरोप लगाना सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अपमान है।
4. निष्पक्षता की प्रतिबद्धता: चुनाव आयोग ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ऐसे “गैर-जिम्मेदाराना” बयानों को नजरअंदाज करें और निष्पक्षता के साथ काम करें। आयोग ने यह भी कहा कि राहुल गांधी ने उनके द्वारा भेजे गए पत्रों का जवाब नहीं दिया, जैसे कि 12 जून 2025 को भेजा गया पत्र।
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क्या राहुल गांधी के आरोप सही हैं?
राहुल गांधी के आरोपों की सत्यता का आकलन करना जटिल है, क्योंकि उन्होंने अभी तक अपने दावों के समर्थन में ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं किए हैं। चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि मतदाता सूची और चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है। कर्नाटक में, जहां राहुल ने हेरफेर का दावा किया, आयोग ने कहा कि 9,17,928 दावों और आपत्तियों पर विचार किया गया, लेकिन कांग्रेस ने कोई अपील नहीं की।
वहीं, राहुल गांधी और कांग्रेस के समर्थक, जैसे शरद पवार और सिद्धारमैया, उनके दावों का समर्थन कर रहे हैं। दूसरी ओर, बीजेपी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इन आरोपों को गैर-जिम्मेदाराना बताया है। यह विवाद भारतीय चुनावी प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, लेकिन बिना ठोस सबूतों के इसे केवल राजनीतिक बयानबाजी माना जा सकता है।
क्या आप इस विवाद के बारे में क्या सोचते हैं? क्या राहुल गांधी के पास वाकई कोई बड़ा सबूत है, या यह केवल राजनीतिक रणनीति है? अपनी राय कमेंट में साझा करें!
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